Tuesday, September 28, 2010

सवी: एक दोस्त एक कवि

सब जानते हैं सवी एक संवेदनशील कवि है, प्रभावशाली चित्रकार है, प्रयोगवादी फॉटोग्राफर है, उदार प्रकाशक है, अनियतकालीन पत्रकार है, दिलफेंक आशिक भी है, और सबका प्यारा सा दोस्त है मगर बहुत कम लोग यह बातजानते हैं कि अगर सवी मेरा दोस्त होता लुधियाना में बहुत से लोग मुझे कभी मिले होते। शायद इसीलिए मैंअक्सर यह कहता हूँ कि सबसे बड़ी बात यह है कि सवी मेरा दोस्त है। बहुत सारी वैचारिक असहमतियों के बावजूदहम साथ चलते रहे और एक दूसरे के सबसे गहरे राजदां भी हैं।
यादाश्त अब जवाब देने लगी है। याद नहीं सबसे पहले सवी से कब और कहाँ मुलाक़ात हुए थी। जहां तक मेराख्याल है हम जरूर सुरजीत पातर के यहाँ मिले होंगे जब हम मिले थे तब वह कैसटों के कवर डिज़ाइन करता थाऔर मैं पत्रकारिता में मशगूल था। पत्रकारिता तब पेशा कम जनून ज्यादा हुआ करती थी।भागम-भाग लगी रहती।बस मुसाफिरों की तरह ही आना जाना होता था। पर जब भी आता था सवी से जरूर मिलता था। दशकों लंबीदास्तान है आहिस्ता आहिस्ता लिखता रहूँगा। फिलहाल उसकी कुछ कवितायें .....



सारं
गी


जो वी हैं तूँ

तांडव
मैं तेरा हाँ
मैं तेरे हत्थां च

Tuesday, May 26, 2009

DEKH KABEERA (COLUMN)

देख कबीरा ...........

जिंदगी में अनेकानेक हादसे ऐसे हो जाते हैं जो ताउम्र नही भूलते. हादसे जो दिल को छू जाते हैं, बाँटने में मज़ा आता है। बरसों जनसत्ता में यह कॉलम लिखता रहा. अब जब ब्लॉग शुरू किया तो सोचा हो जाए एक बार फ़िर से। इस कॉलम के चलते पहले भी बहुत दुलराया था दोस्तों ने. अब इतने सालों बाद दोस्तों की गिनती में इजाफा तो हुआ ही है, तो दुलार में कमी कैसे आएगी?

खुशी
अमरीकी हास्य अभिनेता जिमी दयूरांत एक बार एड स्लीवन नाम के पत्रकार के साथ न्यूयार्क खाड़ी में स्टेटन टापू पर एक अस्पताल में गया, जहाँ उसने दूसरे विश्व युद्ध के जख्मी फौजियों के मनोरंजन के लिए एक प्रोग्राम पेश करना था। उसी दिन उसने न्यूयार्क शहर में रेडियो पर भी प्रोग्राम पेश करने थे। योजना यह थी की फौजियों के प्रोग्राम के बाद वे निश्चित समय पर पानी वाले जहाज पर सवार होकर न्यूयार्क पहुँच जायेंगे।

फौजियों को उसका प्रोग्राम बहुत पसंद आया। उनको इतना खुश देख कर
दयूरांत ने प्रोग्राम पूरा हो जाने के बाद एक और आइटम पेश की। फौजी और भी ज्यादा खुश हुए। यह देख कर दयूरांत एक और आइटम पेश करने की तैयारी करने लगा तो स्लीवान ने कहा 'पागल हो गए हो? पहले ही देर हो चुकी है। अगर जहाज निकल गया तो समय पर शहर नहीं पहुँच पाएंगे।'
'जरा पर्दे से झांक कर दर्शकों की पहली कतार की ओर तो देख।' दयूरांत ने उसकी बात को नज़रंदाज़ करते हुए कहा।
सलीवान ने देखा तो पहली कतार में उसे दो फौजी बैठे हुए नज़र आए, जिनकी एक एक बांह कटी हुयी थी और वो दोनों मिलकर एक दूजे के एक एक हाथ से तालियाँ बजा रहे थे।

Saturday, May 23, 2009

कुछ मेरी तस्वीरें भी



अगर
आप पिछले पॉँच छे महीनों के दौरान मेरी खीची हुई कुछ तस्वीरें देखना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें
मेरी तस्वीरें

Sunday, May 18, 2008

मेरी प्रिय पँजाबी कवितायें


बहुत कम लोग होते हैं जिनकी संगत में आप अपनी आत्मा की देह पर पवित्रता के गुलाब जल का छिड़काव महसूसते हैंआपकी सजदे के लिए जुड़ी ओक में जो किसी दुआ की तरह उतर आते हैं . जिनके बोलों में खुदा की मुहब्बत की शराब सा नशा होता है। आपके रास्तों को जो ताउम्र सूरज की तरह रौशानाते रहते हैं। मेरे लिए अमृता प्रीतम उन्हीं लोगों में से एक थीं। उनका एक संस्मरण और एक नज्म गुलज़ार जी की आवाज़ में ...
मैं तैनू फ़िर मिलांगी




आधुनिक
पंजाबी कविता में जिसका नाम सदैव स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। जो रहती दुनिया तक कविता का सुलतान कहलायेगा। जिसने बाबा शेख फरीद की बिरहा की परम्परा को पुनर्सृजित किया। जिसके ज़िक्र के बगैर पंजाबी कविता का इतिहास अधूरा है। उस अमर महाकवि का नाम है -शिव कुमार प्रस्तुत है उनकी एक मुख्तसर सी मुलाक़ात के साथ उन्ही की आवाज़ में उनका एक गीत
की पुछदे हाल फकीरां दा



अगर समकालीन पँजाबी कविता की बात करें तो सहज रूप से जो नाम सबसे पहले जुबान पर आता है वह है - सुरजीत पातर इस युग का वह महान शायर जिसने कविता को नए मानी, नए आयाम देकर समूची पंजाबी कविता के एक नए युग का सृजन किया है. कोई संदेह नहीं आने वाली पीढियाँ इस युग को पातर युग के नाम से पुकारा करेंगी सुनिए उनकी एक ग़ज़ल उन्हीं की ज़ुबानी
कोई डालियाँ चों लंघेया


पंजाब के युवा कवियों में स्वर्णजीत सवी एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैअपने रचना काल के शुरूआती दौर में उसने विद्रोही तेवर वाली कविताओं से साहित्य जगत में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई थी फ़िर बाद में उसने पंजाबी साहित्य में ख़ुद को आत्मरति में लीन 'काम-कविता' के जनक के रूप में पेश कियाजिससे ख्याति कम मिली, कुख्याति ज्यादा । लेकिन हर हाल में उसने साहित्य जगत में अपना दखल बनाए रखापिछले दिनों उसका नया काव्य-संग्रह "मां" प्रकाशित हुआ तो सामजिक सरोकारों से चिंतित एक बेहद संवेदनशील कवि के रूप में लोगों ने उसे जाना। उसे प्रशंसा भी मिली और प्यार भी । पेश है उसी काव्य-संग्रह से चुनी और फिल्माई एक कविता
'नदी मां'




सवी की ही एक और कविता
मैं नच्च्दा हाँ




पंजाब के पुरूष बुध्धीजीवी, अपनी महिला मित्र बुध्धीजिवियों के बारे में काफी खुलकर और खोल खोल कर बातें करना पसंद करते हैं। जब भी पंजाब आना होता तो मनजीत इंदिरा के बारे में काफी कुछ कुंठाजन्य सुनने को मिल जाता था जो अपनी आदत के अनुसार कभी संजो कर नहीं रखा, ही जरूरत समझी उनकी लिखी भावबोधों में विविधता वाली रचनाएँ नागमणि जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में अक्सर पढता रहता था, जिससे उनके प्रति हमेशा ही श्रद्गाभाव बना रहा । इस बेहद संवेदनशील कवित्री से पिछले दिनों उजबेक शाएरा उक्तामोय और स्वर्णजीत सवी के साथ चंडीगढ़ में मिलना हुआ तो एक गीत फिल्मा डाला आप भी मुलाहिजा फरमाएं
ना बूहा ना बारी ....




कनाडा निवासी नवतेज भारती का नाम पंजाबी काव्य जगत में एक बहुत ही प्रतिष्ठित नाम हैउनकी कविता प्रकृति से संवाद रचती अपनी रूह के अतिसूक्ष्म अनुभवों की खूबसूरत तर्जुमानी हैपेश है उनकी आकार में छोटी
एक कविता "कविता लिखन वेले"





कुछ लोग राहों पर नहीं चलते, उनके चलने से राहें बन जाती हैं। ऐसे ही लोगों में से एक है - गुरतेज कोहारवाला।एक निहायत ही ज़हीन और जिन्दाख्याल शायर। एक ऐसा इंसान जिसे कोई भी माँ शहर भेजने से घबराय कि कोई इसे ठग ले और एक ऐसा शायर की कोई भी मुशायरा इसकी शमूलियत को तरसे। यह उसकी शायरी का ही कमाल है कि लोग पीठ पीछे भी उसकी तारीफ़ करते हैं। पेशे-खिदमत है कम रौशनी में फिल्माई इस शायर कि एक रोशन ग़ज़ल
बड़ा सी बोझ हलके रिश्तेयाँ दा





साहित्य अकेडमी के उपाध्यक्ष और पंजाबी के वरिष्ठ आलोचक व् कवि सतिन्दर सिंह नूर को बहुत सारे पुरस्कारों के साथ-साथ आलोचना पर लिखी उनकी पुस्तक 'कविता दी भूमिका' के लिए उन्हें साहित्य अकेडमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। नूर साहिब को मैं एक बहुत ही प्यारे इंसान, संवेदनशील कवि और एक चलती फिरती संस्था के रूप मैं जनता हूँ, हाँ लोगों के बीच वे एक महान आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी उपस्थिति किसी भी समारोह को गरिमा और भव्यता प्रदान करती है और उनकी नाज्दिकियत में सभी गौरवान्वित महसूस करते हैं. पिछले दिनों चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने उजबेक शायरा उक्तामोय पर लिखी एक कविता उसी की उपस्थिति में सुनायी, आप भी सुनिए।
नच्च रही है उजबेक शायरा उक्तामोय


इमरोज़ की एक कविता फुल्ल ते तलवार
http://www.youtube.com/watch?v=hpaLnnq6t1k&feature=



यह तो कभी हो ही नहीं सकता कि पंजाबी कविता का ज़िक्र आये और बात निरुपमा दत्त की न हो । हम सब की लाडली नीरू जिसके बारे में हर किसी की यही सोच होगी कि हर घर में उसके जैसी बहन, बेटी , दोस्त पैदा हो। उसकी एक कविता :
http://www.youtube.com/watch?v=6Z-6cp1UCnk&feature=relmfu

Sunday, January 27, 2008

AMRIT VISH KIS GHOLEYA?


AMRIT IS NO MORE POTABLE


RUINED HARIMANDIR SAHIB Stairway

SRI HARMANDIR SAHIB

This most beautiful holy Sikh temple was constructed by fifth Sikh guru Arjun Dev,then they had given a name to this temple “Harimandir” and people with due respect started to call it “Sri Harimandir Sahib”। An emperor called Maharaja Ranjit Singh covered it with gold and “Harimandir “(Temple of God) became “Swarna Mandir” (Temple of Gold and popularly known as Golden Temple).


The 52-metre square-based Hari Mandir, to which the causeway leads, stands on a 20-metre square platform। Its lower parts are of white marble, but the upper parts are covered with plates of gilded copper. In the interior, on the ground floor, is the Guru Granth Sahib, placed under a gorgeous canopy, studded with jewels.

On the second storey is a pavilion known as Shish Mahal or Mirror Room, so designed as to have a square opening in the centre to view from there the ground floor, with the further provision of a narrow circumambulatory around the square opening। The interior of the Shish Mahal is ornamented with small pieces of mirror, of various sizes and shapes, skilfully inlaid in the ceiling, and walls richly embellished with designs, mostly floral in character.


Further above the Shish Mahal is again a small square pavilion, considerably small both at its base as well as in its elevation, surmounted by a low fluted golden dome, lined at its base with a number of smaller domes. The walls of the two lower storeys, forming parapets, terminate with several rounded pinnacles. There are four chhatris or kiosks at the corners. The combination of several dozens of large, medium and miniature domes of gilded copper create a unique and dazzling effect, enhanced by the reflection in the water below.


SHIROMANI GURDWARA PARBANDHAK COMMITTEE

S.G.P.C. ( SHIROMANI GURDWARA PARBANDHAK COMMITTEE) under the provisions of Sikh Gurdwara Act 1925 controls all the Historical Gurdwaras as well as Gurdwaras under Section 87 of this act. Everybody knows SGPC which is also called Parliament of the Sikh Nation has become a mouthorgan of Shiromani Akali Dal. The chief of SGPC Mr. Avtar Singh Makker is simply a puppet who thinks, speaks and works according to the wishes of Mr. Prakash Singh Badal.

OPERATION RUINSTAR

SHIROMANI GURDWARA PARBANDHAK COMMITTEE should take care of this holy shrine "Sri Harmandir Sahib" but they are busy enough in their state politics affairs.

Once upon a time there were so many beautiful floral murals on the wall behind the northern narrow stairway leading to the top of the shrine। But it does not exist now a day, along with that so many others has lost their existence। You can see all those photographs I had taken almost 32 years back here.
Jaratkari work involved the inlaying of coloured cut-stones in marble and is to be found on the lower portion of the exterior walls of the temple। But this one also is almost ruined by their (so called) caretakers।

A MRITSAR

Now the most disturbing factor is that holy water AMRIT of Sri Harimandir Sahib , AMRITSAR (Pool of nectar) is not even potable. After first water test I did not believe that. Then I went for the second one and got the same result. According to the lab reports this water is suitable enough for irrigation but not for drinking.

This bitter truth is going to haunt more than 2 crore persons but who is going to take the responsibility for that.
Corruption is ruling over all the political parties and leaders. You can’t see any exception over there from Kargill to Ramsetu. Akalies with the help of BJP want to rule Sikhs by taking control over SGPC and that’s all because SGPC is the most appropriate organization to exploit sikh centiments and make them fool for their politicians gains. Congress leaders are much more interested in taking control of SGPC. Comrades never visit temples so why should they bother about this issue. They know very well that water pollution or paintings at holy places have nothing to do with imperialism and proletariat. Wheresoever possibility of huge kickback or commission exists Indian politicians take care of those subjects only. So whose problem is this anyway?


Want to see my film “BAYADABI” regarding this subject?

Visit my site www.youtube.com/devosahan
DEVENDRA PAL
09357226399