Sunday, May 18, 2008

मेरी प्रिय पँजाबी कवितायें


बहुत कम लोग होते हैं जिनकी संगत में आप अपनी आत्मा की देह पर पवित्रता के गुलाब जल का छिड़काव महसूसते हैंआपकी सजदे के लिए जुड़ी ओक में जो किसी दुआ की तरह उतर आते हैं . जिनके बोलों में खुदा की मुहब्बत की शराब सा नशा होता है। आपके रास्तों को जो ताउम्र सूरज की तरह रौशानाते रहते हैं। मेरे लिए अमृता प्रीतम उन्हीं लोगों में से एक थीं। उनका एक संस्मरण और एक नज्म गुलज़ार जी की आवाज़ में ...
मैं तैनू फ़िर मिलांगी




आधुनिक
पंजाबी कविता में जिसका नाम सदैव स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। जो रहती दुनिया तक कविता का सुलतान कहलायेगा। जिसने बाबा शेख फरीद की बिरहा की परम्परा को पुनर्सृजित किया। जिसके ज़िक्र के बगैर पंजाबी कविता का इतिहास अधूरा है। उस अमर महाकवि का नाम है -शिव कुमार प्रस्तुत है उनकी एक मुख्तसर सी मुलाक़ात के साथ उन्ही की आवाज़ में उनका एक गीत
की पुछदे हाल फकीरां दा



अगर समकालीन पँजाबी कविता की बात करें तो सहज रूप से जो नाम सबसे पहले जुबान पर आता है वह है - सुरजीत पातर इस युग का वह महान शायर जिसने कविता को नए मानी, नए आयाम देकर समूची पंजाबी कविता के एक नए युग का सृजन किया है. कोई संदेह नहीं आने वाली पीढियाँ इस युग को पातर युग के नाम से पुकारा करेंगी सुनिए उनकी एक ग़ज़ल उन्हीं की ज़ुबानी
कोई डालियाँ चों लंघेया


पंजाब के युवा कवियों में स्वर्णजीत सवी एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैअपने रचना काल के शुरूआती दौर में उसने विद्रोही तेवर वाली कविताओं से साहित्य जगत में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई थी फ़िर बाद में उसने पंजाबी साहित्य में ख़ुद को आत्मरति में लीन 'काम-कविता' के जनक के रूप में पेश कियाजिससे ख्याति कम मिली, कुख्याति ज्यादा । लेकिन हर हाल में उसने साहित्य जगत में अपना दखल बनाए रखापिछले दिनों उसका नया काव्य-संग्रह "मां" प्रकाशित हुआ तो सामजिक सरोकारों से चिंतित एक बेहद संवेदनशील कवि के रूप में लोगों ने उसे जाना। उसे प्रशंसा भी मिली और प्यार भी । पेश है उसी काव्य-संग्रह से चुनी और फिल्माई एक कविता
'नदी मां'




सवी की ही एक और कविता
मैं नच्च्दा हाँ




पंजाब के पुरूष बुध्धीजीवी, अपनी महिला मित्र बुध्धीजिवियों के बारे में काफी खुलकर और खोल खोल कर बातें करना पसंद करते हैं। जब भी पंजाब आना होता तो मनजीत इंदिरा के बारे में काफी कुछ कुंठाजन्य सुनने को मिल जाता था जो अपनी आदत के अनुसार कभी संजो कर नहीं रखा, ही जरूरत समझी उनकी लिखी भावबोधों में विविधता वाली रचनाएँ नागमणि जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में अक्सर पढता रहता था, जिससे उनके प्रति हमेशा ही श्रद्गाभाव बना रहा । इस बेहद संवेदनशील कवित्री से पिछले दिनों उजबेक शाएरा उक्तामोय और स्वर्णजीत सवी के साथ चंडीगढ़ में मिलना हुआ तो एक गीत फिल्मा डाला आप भी मुलाहिजा फरमाएं
ना बूहा ना बारी ....




कनाडा निवासी नवतेज भारती का नाम पंजाबी काव्य जगत में एक बहुत ही प्रतिष्ठित नाम हैउनकी कविता प्रकृति से संवाद रचती अपनी रूह के अतिसूक्ष्म अनुभवों की खूबसूरत तर्जुमानी हैपेश है उनकी आकार में छोटी
एक कविता "कविता लिखन वेले"





कुछ लोग राहों पर नहीं चलते, उनके चलने से राहें बन जाती हैं। ऐसे ही लोगों में से एक है - गुरतेज कोहारवाला।एक निहायत ही ज़हीन और जिन्दाख्याल शायर। एक ऐसा इंसान जिसे कोई भी माँ शहर भेजने से घबराय कि कोई इसे ठग ले और एक ऐसा शायर की कोई भी मुशायरा इसकी शमूलियत को तरसे। यह उसकी शायरी का ही कमाल है कि लोग पीठ पीछे भी उसकी तारीफ़ करते हैं। पेशे-खिदमत है कम रौशनी में फिल्माई इस शायर कि एक रोशन ग़ज़ल
बड़ा सी बोझ हलके रिश्तेयाँ दा





साहित्य अकेडमी के उपाध्यक्ष और पंजाबी के वरिष्ठ आलोचक व् कवि सतिन्दर सिंह नूर को बहुत सारे पुरस्कारों के साथ-साथ आलोचना पर लिखी उनकी पुस्तक 'कविता दी भूमिका' के लिए उन्हें साहित्य अकेडमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। नूर साहिब को मैं एक बहुत ही प्यारे इंसान, संवेदनशील कवि और एक चलती फिरती संस्था के रूप मैं जनता हूँ, हाँ लोगों के बीच वे एक महान आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी उपस्थिति किसी भी समारोह को गरिमा और भव्यता प्रदान करती है और उनकी नाज्दिकियत में सभी गौरवान्वित महसूस करते हैं. पिछले दिनों चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने उजबेक शायरा उक्तामोय पर लिखी एक कविता उसी की उपस्थिति में सुनायी, आप भी सुनिए।
नच्च रही है उजबेक शायरा उक्तामोय


इमरोज़ की एक कविता फुल्ल ते तलवार
http://www.youtube.com/watch?v=hpaLnnq6t1k&feature=



यह तो कभी हो ही नहीं सकता कि पंजाबी कविता का ज़िक्र आये और बात निरुपमा दत्त की न हो । हम सब की लाडली नीरू जिसके बारे में हर किसी की यही सोच होगी कि हर घर में उसके जैसी बहन, बेटी , दोस्त पैदा हो। उसकी एक कविता :
http://www.youtube.com/watch?v=6Z-6cp1UCnk&feature=relmfu