जिंदगी में अनेकानेक हादसे ऐसे हो जाते हैं जो ताउम्र नही भूलते. हादसे जो दिल को छू जाते हैं, बाँटने में मज़ा आता है। बरसों जनसत्ता में यह कॉलम लिखता रहा. अब जब ब्लॉग शुरू किया तो सोचा हो जाए एक बार फ़िर से। इस कॉलम के चलते पहले भी बहुत दुलराया था दोस्तों ने. अब इतने सालों बाद दोस्तों की गिनती में इजाफा तो हुआ ही है, तो दुलार में कमी कैसे आएगी?
खुशी
अमरीकी हास्य अभिनेता जिमी दयूरांत एक बार एड स्लीवन नाम के पत्रकार के साथ न्यूयार्क खाड़ी में स्टेटन टापू पर एक अस्पताल में गया, जहाँ उसने दूसरे विश्व युद्ध के जख्मी फौजियों के मनोरंजन के लिए एक प्रोग्राम पेश करना था। उसी दिन उसने न्यूयार्क शहर में रेडियो पर भी प्रोग्राम पेश करने थे। योजना यह थी की फौजियों के प्रोग्राम के बाद वे निश्चित समय पर पानी वाले जहाज पर सवार होकर न्यूयार्क पहुँच जायेंगे।
फौजियों को उसका प्रोग्राम बहुत पसंद आया। उनको इतना खुश देख कर दयूरांत ने प्रोग्राम पूरा हो जाने के बाद एक और आइटम पेश की। फौजी और भी ज्यादा खुश हुए। यह देख कर दयूरांत एक और आइटम पेश करने की तैयारी करने लगा तो स्लीवान ने कहा 'पागल हो गए हो? पहले ही देर हो चुकी है। अगर जहाज निकल गया तो समय पर शहर नहीं पहुँच पाएंगे।'
'जरा पर्दे से झांक कर दर्शकों की पहली कतार की ओर तो देख।' दयूरांत ने उसकी बात को नज़रंदाज़ करते हुए कहा।
सलीवान ने देखा तो पहली कतार में उसे दो फौजी बैठे हुए नज़र आए, जिनकी एक एक बांह कटी हुयी थी और वो दोनों मिलकर एक दूजे के एक एक हाथ से तालियाँ बजा रहे थे।