सब जानते हैं सवी एक संवेदनशील कवि है, प्रभावशाली चित्रकार है, प्रयोगवादी फॉटोग्राफर है, उदार प्रकाशक है, अनियतकालीन पत्रकार है, दिलफेंक आशिक भी है, और सबका प्यारा सा दोस्त है मगर बहुत कम लोग यह बातजानते हैं कि अगर सवी मेरा दोस्त न होता लुधियाना में बहुत से लोग मुझे कभी न मिले होते। शायद इसीलिए मैंअक्सर यह कहता हूँ कि सबसे बड़ी बात यह है कि सवी मेरा दोस्त है। बहुत सारी वैचारिक असहमतियों के बावजूदहम साथ चलते रहे और एक दूसरे के सबसे गहरे राजदां भी हैं।
यादाश्त अब जवाब देने लगी है। याद नहीं सबसे पहले सवी से कब और कहाँ मुलाक़ात हुए थी। जहां तक मेराख्याल है हम जरूर सुरजीत पातर के यहाँ मिले होंगे । जब हम मिले थे तब वह कैसटों के कवर डिज़ाइन करता थाऔर मैं पत्रकारिता में मशगूल था। पत्रकारिता तब पेशा कम जनून ज्यादा हुआ करती थी।भागम-भाग लगी रहती।बस मुसाफिरों की तरह ही आना जाना होता था। पर जब भी आता था सवी से जरूर मिलता था। दशकों लंबीदास्तान है आहिस्ता आहिस्ता लिखता रहूँगा। फिलहाल उसकी कुछ कवितायें .....
सारंगी
जो वी हैं तूँ
तांडव
मैं तेरा हाँ
मैं तेरे हत्थां च
Tuesday, September 28, 2010
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